9. आपका विज्ञापन कहीं पानी का बुलबुला तो नहीं?
यह जरूरी है किए आप अपने विज्ञापन की उम्र भी देख लें। उदाहरण के लिए, एक अखबार में छपे एक विज्ञापन की उम्र एक दिन की होती है, एक साप्ताहिक पत्रिका में सात दिन और मासिक में एक माह। यदि गौर से देखा जाए तो एक अखबार को एक पाठक पूरे दिन देखता भी कहाँ है? अपनी आपाधापी वाली दिनचर्या में से सिर्फ आधे या एक घंटे में एक अखबार में सिर्फ अपनी रुचि के लेख पढ़कर उसे साइड में रख दिया जाता है। बस इतनी सी है आपके विज्ञापन की उम्र।
अनेक शोधों से पता चला है कि लंबी अवधि तक दिखने वाले और बार-बार दिखाई देने वाले विज्ञापन ज़्यादा असरदार होते हैं, उनके अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसलिए आप अपने लिए ऐसा मीडियम चुनें जहाँ आपका विज्ञापन आपकी ‘टारगेट ऑडियंस’ के सामने लंबे समय तक रह सकें, उसके सामने बार-बार आ सके।
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- आपके संभावित ग्राहक की पसंद का मीडियम चुनें
- अपने ग्राहक से उसी के अंदाज़ में संवाद करें
- ऑडियंस की बड़ी सँख्या नहीं बल्कि गुणवत्ता पर फोकस करें
- फोकस्ड ऑडियंस और फोकस्ड मीडियम
- विज्ञापन का खर्चा और उसकी वसूली
- अपने संदेश पर फोकस बनाए रखें
- अपने ग्राहक के दिलो-दिमाग पर छा जाएँ
- आपका विज्ञापन कहीं पानी का बुलबुला तो नहीं?
- नए-नए प्रयोग करके आप दूसरों से आगे रहिए
- मीडियम के साथ आपकी ऑडियंस की सहजता को महत्व दें
- सोशल मीडिया का सहारा बहुत जरूरी है
- मीडियम की विशेषताअों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करें
- ग्लोबल सर्च इंजनों से आपके विज्ञापनों को कैसी मदद मिल सकती है?
- सोशल मीडिया मार्केटिंग खुद ही करने की गलती ना करें!