आजकल धंधा ज़रा मंदा है!

Slowdown in Business

क्या हैं वे कारण जो अपने शहर में आज हर तरह के बिजनेस के लिए मुसीबत बन रहे हैं, क्यों यहाँ के व्यापारी मंदी की मार से उबर नहीं पा रहे हैं, क्या हैं उनके समाधान, आइए जानते हैं।

चाहे कोई किराना-जनरल स्टोर हो या रेडीमेड कपड़ों की दुकान, चाहे फूड रेस्टॉरेंट हो या इलैक्ट्रिक-इलैक्ट्रॉनिक ऐप्लायंस का शोरूम, चाहे बाइक-स्कूटर-कार आदि का शोरूम हो या फर्नीचर-फर्निशिंग की दुकान – शहर में सभी तरह के बिजनेस को जैसे पिछले कुछ सालों में लकवा सा मार गया है। हर तरह के बिजनेस में अपवाद स्वरूप एकाध दो नामों को छोड़ दें तो बाकी जिस भी दुकानदार, व्यापारी, शोरूम ओनर, डीलर-डिस्ट्रीब्यूटर से आप बात करें सबका एक ही दुख है- आजकल बिजनेस में दम नहीं रहा, मंदा चल रहा है। हाथ के किसी कारीगर, ठेकेदार, सर्विसेज़ देने वाले से पूछो तो उनका भी यही कहना है कि काम ही नहीं है, धंधा ही नहीं हो रहा।

मुझे सबसे ज़्यादा झटका तब लगा जब मुझे एक ट्रैक्टर ट्रॉली वाले ने अपनी व्यथा सुनाई कि इन दिनों उसे पूरे दिन में बजरी की एक ट्रॉली का चक्कर डालने के लिए भी लाले पड़ जाते हैं, धंधा ही नहीं है। तब मैंने शहर के अनेक दुकानदारों, व्यापारियों और साथ ही यहाँ के खरीददारों और उपभोक्ताओं से मिलकर यह पता लगाने का प्रयास किया कि अपने शहर के लड़खड़ाते मार्केट की वज़ह ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन ही है या फिर यहाँ हमारे शहर के कुछ और ही कारण हैं जिनकी वज़ह से शहर में लोगों के धंधे मंदे चल रहे हैं।

इसके बड़े ही महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए जो कि अपने-अपने ढंग से कम या ज़्यादा, शहर के बिजनेस को प्रभावित कर रहे हैं। कुछ कारण तो लोगों की मान्यताएँ भर हैं और कुछ बिल्कुल ठोस वज़हें हैं जिन पर ध्यान देकर, उनका समाधान किया जा सकता है – बिजनेस की हालत सुधारी जा सकती है।

  1. धंधों में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा
    कई दुकानदार अपने बिजनेस में आने वाली गिरावट के लिए बिजनेस में आने वाले नए प्रतिस्पर्द्धियों को मानते हैं। उनका यह मानना गलत तो है ही, उससे भी ज़्यादा नुकसान इस बात से होता है कि अपने इसी भ्रम के कारण वे अपने बिजनेस में होने वाले नुकसान की असली वज़ह के बारे में कभी सोच ही नहीं पाते और इसीलिए उसका कोई उपाय भी नहीं सोच पाते।
    समाधान: बिजनेस गुरुओं का मानना है कि एक ही तरह के बिजनेस में कई खिलाड़ी दरअसल एक बड़ा मार्केट तैयार करते हैं। इसलिए, इस बात की चिंता किए बिना कि नया खिलाड़ी आपका मार्केट शेयर हड़प लेगा, आपको अपने बिजनेस के लिए नई रणनिति बनानी चाहिए कि कैसे आप इस बढ़े हुए मार्केट में अपना शेयर बढ़ाएँ। ध्यान रहे, कम पानी वाले तालाब में तैरने के गुर अलग होते हैं और अपार जल वाले समुद्र में अलग। जरूरी नहीं है कि अाप कल तक जिस तरीके से अपना धंधा जोर-शोर से कर रहे थे, अब जबकि मार्केट का आकार बढ़ गया है, आपके वही नुस्खे आपको आज भी सफलता दिलाएंगे।
  2. ग्राहकों के पास नवीनतम जानकारी की कमी
    कई दुकानदारों की शिकायत है कि ग्राहक को कई चीजों के बारे में आवश्यक जानकारी ही नहीं होती, उन्हें सिर्फ सस्ती Help your Elder Familly Membersचीज चाहिए। नए फीचर, नई तकनीक, नए फैशन की कोई चीज यहाँ के ग्राहकों के लिए निवेश करके अपनी दुकान में ले तो आएँ, पर ग्राहक उसकी खासियत समझता ही नहीं या उसकी सराहना ही नहीं करता तो वह चीज हमारे गले की हड्डी बन जाती है। शहर के ही एक नामी इलैक्ट्रॉनिक्स शोरूम के व्यापारी ने बताया कि ग्राहक को नई टैक्नोलॉजी वाले प्रोडक्ट बेचने के लिए हमें खूब सिरदर्दी करनी पड़ती है। उसको समझाओ कि यह टीवी उस टीवी से महँगा क्यों है, इसमें क्या-क्या नए फीचर्स हैं। फिर उन फीचर्स का अर्थ समझाओ, उन फीचर्स के फायदे समझाओ… और उसके बाद भी जब ग्राहक बोलता है कि क्या करना है इन सब फीचर्स का, मुझे तो वो 5-7 हजार रुपए कम वाला ही दे दो, तब अपना सिर फोड़ने का मन होता है। इसीलिए नई प्रोडक्ट रेंज में निवेश करने की बजाय हम वही चीज लाते हैं जिसकी माँग ग्राहक करता है। इस कारण से यहाँ का मार्केट पिछड़ जाता है।
    समाधान: ऐसा सिर्फ नए प्रोडक्ट्स और नई टेक्नोलॉजी को अपनाने के समय होता है और यह एक स्वभाविक प्रोडक्ट अडप्शन लाइफसाइकिल का हिस्सा है। उसका एक ही तरीका है कि आप अपने मार्केट और ग्राहक को अच्छी तरह जान लें। ग्राहक के सामाजिक एवं मानसिक स्तर को जानते हुए ही नए बाजार को तैयार करें। यदि जरूरत हो, आपको लाभ मिलने की संभावना दिखे तो ग्राहकों को जानकारी दें, उन्हें शिक्षित करें, अपने लिए नया मार्केट तैयार करें। जाहिर है, शुरुआत करने वाले को लाभ भी अच्छा मिलेगा। आपके लिए एक खुशखबरी यह है कि, आपके लिए यह काम www.ApniSmartCityLife.com द्वारा हम कर रहे हैं। यहाँ लोगों को किसी भी चीज की खरीददारी करने से पहले किन बातों को जानना जरूरी है, वह सब आसान भाषा में समझाया जाता है।
  3. खरीदने की क्षमता की कमी
    कई दुकानदार ऐसा मानते हैं कि यहाँ लोग अधिकतर नौकरी-पेशे वाले हैं इसलिए यहाँ लोगों की खरीददारी की क्षमता ही नहीं है।Your Advertising is Useless इसलिए बाज़ार में दुकानों में लोग सिर्फ जरूरत पूरी करने के लिए ही खरीददारी करने आते हैं और इसीलिए हम महँगे और शौकिया आइटमों में निवेश नहीं करते।
    समाधान: यह सबसे बड़ा भ्रम है यदि कोई ऐसा सोचकर हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाता है कि उसका धंधा इसलिए नहीं चल रहा कि अपने शहर में लोगों की खरीदने की क्षमता नहीं है। हर दूसरी जगह, दूसरे शहर की तरह यहाँ भी हर वर्ग के, हर आ़र्थिक स्तर के लोग हैं। अपने शहर में भी सिर्फ स्वाद के लिए 15 रुपए की कचौरी खाने वाले भी हैं और 500 रुपए का पिज्जा खाने वाले भी, 25 रुपए में पाइरेटेड डीवीडी पर फिल्म देखने वाले भी हैं और 250 रुपए खर्च के सिनेमा हॉल में जाने वाले भी। यदि लोगों की खरीदने की क्षमता नहीं होती तो लोग ‘बढ़िया’ शॉपिंग के लिए जयपुर, दिल्ली, मुंबई या दुबई नहीं चले जाते। आवश्यकता है सही ‘पोज़िशनिंग’ की, सही प्रेज़ेंटशन की, सही इनफ्लूएंसिंग की। आप जो भी चीज बेच रहे हैं, ग्राहक के लिए उसका परसेप्शन सबसे महत्त्वपूर्ण है।   
  4. बड़े-बड़े मॉल और स्ट्रक्चर्ड रीटेल आउटलेट्स
    गली-मोहल्ले-शहर में काफी समय से चली आ रही, जमी-जमाई दुकानों के मालिकों का रोना आधुनिक बड़े-बड़े मॉल्स और रीटेल Mallsआउटलेट्स को लेकर है। वे बैठे बस इन्हें ही कोसने में अपनी ऊर्जा नष्ट कर रहे हैं कि इन मॉल्स ने आकर अपने शहर के धंधे खराब कर दिए। बाज़ार में इतने सालों से हम कमा-खा रहे थे, इन स्ट्रक्चर्ड रीटेल आउटलेट्स ने अाकर सब खेल बिगाड़ दिया।
    समाधान: स्ट्रक्चर्ड रीटेल आउटलेट्स और मॉल सिर्फ अपने शहर में ही आए हों ऐसा तो है नहीं। ऐसा तो नहीं है कि दिल्ली, मुंबई या किसी और बड़े शहर में जहाँ पिछले कई वर्षों से मॉल्स हैं वहाँ की दूसरी लोकल शॉप्स बंद ही हो गई हैं। ऐसा तो नहीं है कि अब शहर के सब लोग सिर्फ इन मॉल्स में जाकर ही खरीददारी करते हैं। बल्कि लोकल और ट्रेडिशनल दुकान वालों को इन आधुनिक आउटलेट्स से, उनकी कार्य-प्रणाली, उनके सिस्टम और प्रोसेस सीखने चाहिए और अपने हिसाब से अपने बिजनेस में काम में लेने चाहिए। फिर कुछ पहलू तो ऐसे हैं ही जिनका फायदा सिर्फ लोकल गली-मोहल्ले वाली दुकान वाले ही ले सकते हैं, जिनका लाभ कभी भी बड़े-बड़े मॉल्स नहीं ले पाएंगे, उन पर ध्यान देना चाहिए। लोकल दुकान वाले दुकानदारों को सबसे बड़ा लाभ तो अपने ग्राहक को निजी तौर पर जानना, उसके सा़थ पारिवारिक स्तर पर जुड़े होना है जो कि इन बड़े मॉल्स में कभी नहीं होगा। लोकल दुकानदारों को अपने इस सानिध्य का लाभ उठाना चाहिए। 
  5. नई पीढ़ी में बढ़ रहा ऑनलाइन शॉपिंग का चलन
    अपने शहर में कई दुकानदारों का सबसे बड़ा कष्ट ऑनलाइन स्टोर्स हैं जिनसे आजकल नई पीढ़ी के ग्राहक प्रभावित भी हैं और सहज भी। Online Shoppingलगभग हर चीज आज ऑनलाइन खरीदी जा रही है और अपने शहर के कनज़्यूमर भी इससे अछूते नहीं हैं। इसी कारण लगभग हर वर्ग के बिजनेस वाले को लगता है कि उसके धंधे में कमी का कारण यही है कि उसके ग्राहक अब ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं।
    समाधान: अपने शहर में कई लाेगों (ग्राहकों) से बात करने पर पता चला की किसी भी ग्राहक की प्राथमिकता ऑनलाइन शॉपिंग करने की नहीं होती, वह अक्सर अंतिम विकल्प के तौर पर ही ऐसा करता है। अधिकतर लोग सिर्फ प्रोडक्ट की डीटेल्स के लिए, उसके बारे में रीसर्च करने, उसकी कीमत आदि का अनुमान लगाने के लिए ऑनलाइन स्टोर्स पर जाते हैं। फिर इन सब जानकारियों के साथ वो किसी बड़े मॉल आदि में जाकर प्रोडक्ट का ऐक्सपीरियंस करते हैं, वहीं पर दूसरे मॉडलों के साथ अपने पसंदीदा प्रोडक्ट की तुलना करते हैं और जब वे प्रोडक्ट चुन लेते हैं तब बाज़ार में 2-4 दुकानों पर घूम कर बेस्ट डील लेने की कोशिश करते हैं। और जब उन्हें इसमें असफलता मिलती है, केवल तभी वे ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। तो, अब आप ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले अपने ग्राहकों की मानसिकता से परिचित हैं तो अब आप सही रणनीति से उन्हें कहीं और जाने से रोक सकते हैं।
  6. दुकानदारों की आउटडेटड व अनप्रोफेशनल बिजनेस अप्रोच
    यह दरअसल अपने शहर के दुकानदारों और बिजनेस ओनर्स ने नहीं बताया बल्कि उनसे मिलकर, उनसे बातचीत करने के दौरान We reach 300000+ usersमुझे एहसास हुआ। यहाँ अधिकतर दुकानों-बिजनेसों पर नई पीढ़ी आ चुकी है और चूँकि वेअपने से पहली पीढ़ी को धंधा करते देखकर ही सीखे-बढ़े हैं, वे वही आज भी कर रहे हैं जो उनके बड़े करते आए हैं। कोई ताज्जुब नहीं कि वो पहले वाले लोग सफल हुए और नई पीढ़ी उन्हीं कायदों पर चलने के बावजूद मंदी से जूझ रही है। जाहिर है, समय के साथ सारे समीकरण बदल चुके है, बिजनेस करने के नियम-कायदे सब बदल गए हैं तो आपके तरीके भी वक्त के अनुसार बदल जाने चाहिए थे।
    समाधान: पहले के ज़माने में, अपने बाप-दादाअों की गद्दी संभालते ही आप एक ‘सफल’ बिजनेसमैन हो जाते थे, लेकिन अब बदलते परिवेश में आपको सीखना चाहिए कि एक स्ट्रक्चर्ड सिस्टम के साथ एक ऑर्गनाइज़्ड बिजनेस कैसे किया जाता है। और कुछ नहीं तो कम से कम, किसी प्रोफेशनल बिजनेस कंसलटेंट की सेवाएं ले लें जो अापके वर्तमान बिजनेस को डूबने से बचाने का कोई मार्ग आपको सुझा दे।

 

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