How to prolong battery life of your phone, laptop or a camera and get the best out of it

आज के मोबाइल युग में कौन है जो मोबाइल फोन, लैपटॉप, आइपॉड या टैबलेट काम में नहीं लेता? और जो भी इसे काम में लेता है, उसे सबसे ज़्यादा चिंता इसकी बैटरी को लेकर लगी रहती है। कितनी प्रतिशत चार्ज बचा है, कितनी देर और चल सकती है, कहीं घर पहुँचने से पहले बैटरी पूरी डिस्चार्ज्ड ना हो जाए, बस इसी चिंता में बार-बार हम अपने उपकरणों को देखते रहते हैं।

बैटरी के चार्ज / डिस्चार्ज के साथ-साथ इसके पूरी तरह से डैड होने का खतरा भी बना images-14रहता है। कई बार आपने महसूस किया होगा कि बैटरी जब नई होती है तब वह ज़्यादा चार्ज स्टोर कर पाती थी लेकिन कुछ समय बाद ही उसकी चार्जिंग क्षमता कम हो जाती है, और कई दफा तो यह कुछ ही महीनों में पूरी तरह से डैड हो जाती है।

यदि हम बैटरी के विज्ञान को समझ लें और उसे ठीक से उपयोग में लें तो हम इसका भरपूर लाभ तो ले ही सकते हैं, साथ ही इसकी उम्र भी बढ़ा सकते हैं। आइए, इसके लिए कुछ आवश्यक जानकारी ले लेते हैं:

बैटरी किस प्रकार की है
आजकल हम जो भी गैजेट्स काम में लेते हैं जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, मैकबुक, आइफोन, आइपॉड, टैबलेट, ब्लूटूथ हैडफोन, डीएसएलआर आदि, सभी में अधिकतर लिथियम आयन (Lithium Ion या Li-ion) बैटरी लगी होती है। आज से कुछ साल पहले के उपकरणों में NiMH या NiCd बैटरियाँ लगी होती थीं जिनकी कार्यप्रणाली और जिन्हें काम में लेने का ढंग आधुनिक लि-आयन बैटरियों से बिल्कुल अलग होता था। बल्कि जो आदतें NiMH बैटरियों के लिए अच्छी मानी जाती थीं, वे आज की लि-आयन बैटरियों के लिए घातक हैं। लि-आयन बैटरियों को कैसे काम में लें, यह जानने से पहले इनकी बनावट और कार्यप्रणाली को समझना जरूरी है।

लि-आयन बैटरी की बनावट और इसकी कार्यप्रणाली
अन्य बैटरियों की ही तरह इनमें भी दो इलैक्ट्रोड होते हैं, कैथोड और ऐनोड। और इन दोनों के बीच चार्ज को एक इलैक्ट्रोड से दूसरे इलैक्ट्रोड तक ले जाने वाले माध्यम के रूप में भरा होता है इलैक्ट्रोलाइट। इलैक्ट्रोलाइट के बीच में एक सैपरेटर लगा होता है जो सिर्फ लिथियम आयन्स को ही अपने में से गुजरने देता है। जैसे ही इस बैटरी को चार्ज करने के लिए सर्किट में लगाया जाता है, ऐनोड पर रसायनिक प्रक्रिया होने लगती है और चार्ज्ड लिथियम आयन कैथोड की बजाय ऐनोड पर एकत्र होने लगते हैं। जब सारे लिथियम आयन्स ऐनोड पर एकत्र हो जाते हैं, इसका अर्थ है बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो चुकी है। जब इस बैटरी को किसी उपकरण में लगा कर काम में लिया जाता है, ऐनोड पर एकत्रित ये आयन्स लौट कर कैथोड की ओर जाने लगते हैं। जब सारे आयन्स कैथोड पर पहुँच जाते हैं, इसका अर्थ है की बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज्ड हो चुकी है।

इसे और बेहतर समझने के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं-
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बैटरी साइकिल
आयन्स के, कैथोड से ऐनोड तक और फिर ऐनोड से कैथोड तक इस आवागमन को एक बैटरी साइकिल कहा जाता है। इस बैटरी के कैथोड से आयन्स को ऐनोड पर भेजने के लिए, या यूँ कहें कि बैटरी को फिर से चार्ज करने के लिए इस इसके चार्जर के द्वारा सर्किट में लगाना पड़ेगा। हर लिथियम आयन बैटरी के सीमित संख्या में ही साइकिल निर्धारित होते हैं। कई बैटरी निर्माता अपनी बैटरियों पर इस संख्या को ‘बैटरी साइकिल’ के रूप में लिखते भी हैं, जिसके बाद बैटरी या तो पहले जितनी सक्षम नहीं रहती या बिल्कुल ही डैड हो जाती है। जैसे मैकबुक प्रो की बैटरी 1000 साइकिल्स के लिए फुल चार्ज हो सकती है।

बैटरी की स्टोरेज कैपेसिटी
एक बैटरी कितनी ज़्यादा चार्ज्ड हो सकती है या यूँ कहें कि कितनी ज़्यादा देर के लिए पावर स्टोर कर सकती है, यह इसके लिथियम आयन्स की संख्या पर, ऐनोड और कैथोड पर लगे स्टोरेज मीडियम की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। धीरे-धीरे, कुछ बैटरी साइकिल्स के बाद बैटरी के ऐनोड और कैथोड की स्टोरेज क्षमता कम होने लगती है और वे अधिक संख्या में आयन्स स्टोर नहीं कर पाते। सरल भाषा में, बैटरी ज़्यादा चार्ज नहीं हो पाती। बचे-खुचे आयन्स को ही ऐनोड पर एकत्र करके डिवाइस का डिस्प्ले 100% चार्ज दिखा देता है। लेकिन कम संख्या में आयन स्टोर होने के कारण यह बैटरी पहले जितनी देर तक पावर जारी नहीं कर सकेगी।

बैटरी से संबंधित गलतफहमियाँ

1) बैटरी साइकिल्स को चकमा देकर इसकी उम्र बढ़ाई जा सकती है
तो क्या बैटरी साइकिल्स के साथ कोई चालाकी संभव है? बिल्कुल नहीं। आप भौतिकी के नियमों को नहीं बदल सकते। आप बैटरी को हमेशा चार्जर पर लगाए रखते हुए, बैटरी को हमेशा 100% चार्ज्ड रखकर बैटरी साइकिल्स के साथ धोखा नहीं कर सकते। बल्कि ऐसा करने से तो बैटरी को उल्टा नुकसान होगा क्योंकि बैटरी की कार्यप्रणाली को सुचारू और स्वस्थ रखने के लिए आयन्स का इधर-उधर जाना बहुत जरूरी है। यदि आप बैटरी को 50% डिस्चार्ज्ड होते ही फिर से टॉप-अप भी कर दें, तो भी ऐसा दो बार करने पर एक साइकिल माना जाएगा। तो चाहे आप 20% डिस्चार्ज को 5 बार टॉप-अप करें या फिर 5% डिस्चार्ज को 20 बार टॉप-अप करें, एक साइकिल माना जाएगा।

2) बैटरी को सारी रात चार्जिंग पर लगाए रखने से- बैटरी की उम्र कम हो जाती है (या इसे ओवरचार्ज किया जा सकता है)
इसे समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि लिथियम आयन बैटरी चार्ज कैसे होती है। दरअसल यह प्रक्रिया दो चरणों में होती है। शुरू में जब बैटरी का चार्ज बिल्कुल कम है, d213049538f894e1f235f92e1a6baf08तब चार्जर इसे अपनी अधिकतम क्षमता के साथ करंट देता रहता है ताकि इसके ऐनोड पर आयन्स तेज़ी से जमा होते रहें या सरल भाषा में कहें तो बैटरी तेज़ी से रीचार्ज होती रहे। जैसे ही बैटरी का चार्ज 70 प्रतिशत हो जाता है चार्जर इसे सीमित वोल्ट्स देना शुरू कर देता है। जैसे-जैसे बैटरी पूरी चार्जिंग के नज़दीक पहुँचने लगती है, चार्जर करंट देना कम करता जाता है। जब बैटरी 100 प्रतिशत चार्ज हो जाती है, चार्जर इसे करंट देना लगभग बंद कर चुका होता है। इसलिए रातभर चार्जिंग पर लगाए रखने में कोई नुकसान तो नहीं है (ना ही कोई फायदा) लेकिन यदि संभव हो तो ऐसा करते समय अपने फोन के कवर को उतार लें ताकि डिवाइस गर्म ना हो।

3) सही ढंग से काम में लेने पर बैटरी कभी खराब नहीं होती
आप चाहे कितने भी जतन कर लें, कितनी भी सावधानी बरत लें लेकिन बैटरी एक ना एक दिन डैड होने ही वाली है या फिर उसकी चार्जिंग की क्षमता बिल्कुल ना के बराबर होने ही वाली है। बस, सावधानी से उपयोग में लेकर आप इसकी उम्र को बढ़ा जरूर सकते हैं।

4) लिथियम आयन बैटरी को पूरी तरह से डिस्चार्ज कभी नहीं होने देना चाहिए वरना ये कभी रीचार्ज नहीं होती है
यह धारणा पुरानी NiMH या NiCd बैटरियों के लिए सही थी लेकिन Li-ion बैटरियाँ स्मार्ट हैं जिनमें में कोई मैमरी नहीं होती इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। वैसे भी जब बैटरी आपको पूरी तरह से डिस्चार्ज्ड दिखाई दे रही हो, इसका मतलब यह नहीं है कि उसमें अब बिल्कुल भी वोल्ट पावर नहीं बची है। जैसे ही बैटरी का चार्ज निर्धारित चार्ज से कम होने लगता है, लगभग सभी लिथियम आयन बैटरियों में लगा सेफ्टी सर्किट यह दिखाता है कि बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज्ड हो चुकी है और यह डिवाइस को पावर देना बंद कर देता है। एक आदत बना लीजिए कि आपको बैटरी का चार्ज 20% से लेकर 80% के बीच में ही रखना है। इसके अनुसार आप अपने आउटडोर की योजना बना सकते हैं।

5) बैटरी का गर्मी से क्या लेना-देना
बिल्कुल है। लिथियम आयन बैटरी अधिक गर्मी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती, इसलिए अपने फोन, लैपटॉप, टैबलेट को अधिक गर्म होने से बचाएँ, उन्हें धूप में खड़ी कार के भीतर ना छोड़ें। सामान्य कमरे के तापमान पर ये बेहतर ढंग से काम करती हैं। बहुत अधिक और बहुत कम तापमान दोनों ही बैटरी के लिए ठीक नहीं हैं।

6) सब चार्जर एक से ही होते हैं
नहीं। सब चार्जर बैटरी चार्ज कर सकते हैं, यह सही है पर सब एक जैसे सुरक्षित और स्मार्ट नहीं होते। आजकल बैटरी को बहुत तेज़ी से चार्ज करने वाले चार्जर भी उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें काम में लेने से पहले अपनी डिवाइस (फोन, लैपटॉप, टैबलेट आदि), अपनी बैटरी और उस चार्जर के बारे में सारी तकनीकी जानकारी ले लें। बेशक किसी नामी ब्रांड का चार्जर ना लें परन्तु सही स्पेसिफिकेशन्स और बढ़िया रेटिंग वाला चार्जर ही काम में लें, वरना आपको अपनी बैटरी या फिर अपनी डिवाइस से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

7) लंबे समय तक बैटरी को काम में ना लेना हो तो उसे पूरी तरह से डिस्चार्ज करके रखना चाहिए
गलत। बल्कि ऐसे लंबे समय के लिए इसे थोड़ा चार्ज्ड जरूर छोड़ना चाहिए। बेहतर होगा यदि आप इसे 50% चार्ज करके रखें। वैसे भी बैटरी काम में नहीं लेने के बावजूद भी धीरे-धीरे डिस्चार्ज होती रहती है।

बैटरी खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बिन्दु

  • मैन्यूफैक्चरिंग डेट देखकर जितना संभव हो सके, उतनी नई बैटरी खरीदें
  • कम पावर क्षमता वाली दो बैटरियाँ लेने से बेहतर है एक ही अधिक क्षमता की बैटरी लें
  • अधिक बैटरी साइकिल क्षमता वाली बैटरी लें

(और अधिक जानकारी के लिए आप यह वेबसाइट देख सकते हैं-http://batteryuniversity.com )

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