दुकानदारों की इन बातों (झाँसों) में ना आएँ
कोई दुकानदार नहीं चाहता कि उसके ग्राहक यह लेख पढ़ें (जबकि हर दुकानदार इसे पढ़कर जानना चाहता है कि ग्राहकों की कमजोरी क्या है)!
कुछ भी बेचना एक कला है। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि बेचने का हुनर हो तो दुकानदार एक गंजे को कंघी तक बेच सकता है। यानि कि बातों का धनी एक दुकानदार आपको अपनी बातों में ऐसे उलझा सकता है कि आप उसके हा़थों कोई चीज खरीदने पर मजबूर ही हो जाते हैं। उस समय तो आप दुकानदार की बातों में आकर चीज खरीद लाते हैं, फिर घर आकर अपना सिर पीटते हैं कि आपने बेकार ही यह चीज खरीद ली।
ऐसा कैसे हो जाता है कि आप पढ़े-लिखे और समझदार होने के बावजूद किसी सेल्समेन की बातों में आकर, सम्मोहित से होकर कर खरीददारी कर बैठते हैं?
कई दुकानदारों और ऐसे ही ‘चोट खाए’ ग्राहकों से बातचीत करके हमें इसका राज़ पता चला। दरअसल दुकानदारी (या सेलिंग) एक मनोवैज्ञानिक हुनर है जिसका उपयोग करके कोई दुकानदार किसी ग्राहक को अपनी चीज बेच लेता है।
शहर के बड़े ही नामी जूतों की एक दुकान के मालिक ने हमें बताया कि उनके यहाँ किसी भी सेल्समेन को जब वो काम पर रखते हैं तो उसे सिर्फ इस बात की ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे ग्राहक की ‘ईगो’ को ‘ऐक्सप्लॉइट’ किया जा सकता है यानि कि कैसे उसके स्वाभिमान या अहँकार का फायदा उठाया जा सकता है। उन्होंने अागे बताया कि हम किसी भी ग्राहक से बात करते ही 2-4 मिनट में ही ताड़ लेते हैं कि इस ग्राहक का ‘वीक पॉइंट’ क्या है और बस एक बार आपको यह पता चल जाए तो आप बातों के सही तीर चला कर अपनी चीज बेच सकते हैं। वो कहते हैं कि इसमें हम ग्राहक के साथ कोई धोखाधड़ी नहीं कर रहे हैं, लेकिन इससे हमें एक सेल्समेनशिप का आनंद जरूर मिलता है।
स्कूल और ट्रेवलिंग बैग्स की एक प्रसिद्ध दुकान के मालिक ने हमें बताया कि हम शहर में इतने सालों से इस धंधे में हैं, इसलिए नहीं कि हम सबसे अच्छे बैग रखते हैं या हमारे पास बहुत बढ़िया वैराइटी है या हम कम दाम पर बेचते हैं, बल्कि इसलिए कि हम सबसे बेहतर सेल्समेन हैं, क्योंकि हम ग्राहक को अच्छी तरह से समझते हैं। हम उसे अपनी चीज बेचने की कोशिश नहीं करते बल्कि उसकी ‘डिज़ायर’, उसकी चाह को पकड़ने की कोशिश करते हैं। वो कहते हैं कि एकबार हमें यह पता लग जाए कि ग्राहक किस दिशा में सोच रहा है तो हम अपना प्रोडक्ट उसी प्रकार से उसके सामने पेश कर देते हैं, और बस, हमारा काम हो जाता है।
एक स्मार्ट खरीददार बनने के लिए आपको सही चीज की पहचान होने के साथ-साथ, दुकानदारों से व्यवहार और तर्क आदि में भी कुशल होना चाहिए। खासकर, आपको दुकानदारों की लच्छेदार बातों पता होना चाहिए ताकि आप उनके जाल में ना फँस सकें। इसके लिए हमने शहर के रेडिमेड कपड़ों के शोरूम, जूते-चप्पलें-सेंडिल की दुकानों, फैशन ऐक्सेसरीज़, गिफ्ट आइटम्स, साड़ियों, होम डेकॉर मैटेरियल, यहाँ तक कि इलैक्ट्रिॉनिक आइटम्स की दुकानों के दुकानदारों और उनके सेल्समेंनों से उनके ‘कारगर’ नुस्खे पूछे जो कि उनके ‘सेलिंग वन-लाइनर्स’ हैं।
उनमें से सबसे ज़्यादा प्रचलित 10 वन-लाइनर्स हम आपको बता रहे हैं ताकि आप कभी इन बातों में ना फँसें और अपने विवेक और समझदारी के साथ खरीददारी करें।
- ये डिज़ाइन देखिए, कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ खूब लेके जाते हैं इसे।
आमतौर पर यह लाइन दुकानदार तब काम में लेते हैं जब सामने ग्राहक लगभग 25 से 35 साल की उम्र का हो या उन्हें लगता है कि आप किसी ऐसी ही उम्र के व्यक्ति के लिए चीज खरीद रहे हैं। वह दुकानदार इस तरह से आपको यह बताने की कोशिश करता है कि आजकल युवाओं की माँग यह है और यदि आप भी खुद को युवा दिखाना चाहते हैं (आपकी एक कमजोरी जो वो ताड़ चुका है) तो आपको यही चीज लेनी चाहिए। - जैसा डिज़ाइन/पैटर्न आप माँग रहे हैं, उसका फैशन चला गया।
जब आप कुछ ऐसा डिज़ाइन या पैटर्न माँग रहे हों जो उस दुकानदार के पास नहीं है तो वह ऐसा कभी स्वीकार नहीं करेगा। उल्टा आपको ही ‘आउटडेटड’ महसूस करा देगा। आप भी सेल्समेन की इस लाइन के झाँसे में आ ही जाते हैं कि हम कौनसा रोज़ाना खरीददारी करते हैं, इनका तो यही काम है, इन्हें ज़्यादा पता होगा कि क्या फैशन में है और क्या नहीं। गलत। आप भी उसी दुनिया में रहते हैं, उसी शहर में रहते हैं जिसमें वह दुकान खोले बैठा है, अपनी चीज बेच रहा है तो फिर जो चीज फैशन में है या नहीं है, आपको भी तो दिखाई दे जाएगी या नहीं? - एकदम नया माल उतरा है कल ही, सबसे पहला पीस आपको दिखा रहा हूँ।
शहर में बेडशीट और पर्दों की नामी दुकान के मालिक ने बताया कि हमारी यह लाइन खूब काम करती है। वो कहते हैं कि माल इतना सारा है कि आप सारा तो डिस्पले में रख नहीं सकते, बहुत सारा ऊपर बने स्टोर में रखा रहता है। जब किसी ग्राहक को ऊपर से कोई आइटम उतरवा के दिखाना होता है तो जब तक हमारा लड़का वो आइटम लेकर नहीं आता है, हम ग्राहक को यही बताते हैं कि माल अभी कल ही उतरा है, अभी शोकेस में रखा भी नहीं है, सबसे पहला बंडल बस आपके लिए ही खोला है। और बस, ग्राहक इस ऐक्सक्लूसिव ट्रीटमेंट के चक्कर में आ ही जाते हैं। - ये आइटम देखिए, जैसी आपकी बढ़िया चॉइस है, आपको बहुत पसंद आएगा।
मेन मार्केट में साड़ियों के एक बड़े शोरूम के मालिक ने स्वीकार किया कि वे अपने ग्राहकों को आसमान पर बिठाकर अपना कोई भी आइटम, उनकी पसंद बनाकर बेचने की कला जानते हैं। वे कहते हैं कि कोई भी डील वैसे भी 25-30 आइटम दिखाए बिना होती ही नहीं है, लेकिन 8-10 डिज़ाइन या पैटर्न्स या कलर्स दिखाने के बाद हम जो भी वैरायटी उन्हें दिखानी होती है, बस यही लाइन कहते हुए दिखाते हैं। जानबूझ कर हम कोई आइटम उन्हें दिखाते-दिखाते रुक जाते हैं कि यह आपकी (बढ़िया) चॉइस के मुताबिक नहीं है। इस तरह उनकी ‘ईगो’ को सहलाते हुए हम उन्हें यह विश्वास दिला देते हैं कि आप की चॉइस कोई आम नहीं है और अब जो चीज हम आपको दिखा रहे हैं, वो आम लोगों को तो हम दिखाते ही नहीं हैं। बस, हमारा तीर अपना काम कर जाता है। - एकदम रनिंग आइटम है ये, खूब बेचा है हमने। टिकता ही नहीं है ये, आते ही सारा माल बिक जाता है।
शहर के नामी कॉम्पलैक्स में स्थित ज़ीन्स-टॉप्स-शर्ट्स की दुकान के मालिक का कहना है कि उनके यहाँ लड़के-लड़कियाँ आकर सीधे किसी ब्रांड का नाम लेकर ड्रेस दिखाने को कहते हैं तो हम यह एक लाइन बोलकर उनका दिमाग पलटकर रख देते हैं और अनब्रांडेड आइटम तक उन्हें बेच देते हैं। - इनमें से कोई भी नहीं पसंद आया आपको?
लेडीज़ सूट मैटेरियल के लिए प्रसिद्ध एक दुकान से एक सेल्समेन ने बताया कि हम कितनी भी वैरायटी या डिज़ाइन-पैटर्न के लेडीज़ सूट अपनी ग्राहकों को दिखाते रहें, वो और दिखाओ – और दिखाओ की रट लगाए जाती हैं। तब हमें उन्हें एक इशारा देना होता है कि आप बहुत ज़्यादा आइटम निकलवा चुकी हैं। तब दरअसल हम उन पर हल्का सा मानसिक दबाव बनाने की कोशिश करते हैं कि वे अब अपनी पसंद फाइनल कर लें। और अक्सर ऐसा होता है कि जो डील पिछले एक घंटे में नहीं हुई थी, अगले 10 मिनट में हो जाती है। - आखिर आपको किस तरह का डिज़ाइन चाहिए?
स्कूल-कॉलेज के बैग्स की दुकान के मालिक ने बताया कि हम ग्राहक से कुछ ऐसा ही सवाल पूछ लेते हैं जिसके लिए आमतौर पर ग्राहक तैयार नहीं होता। और दरअसल इसका कोई जवाब है ही नहीं, कोई हवा में ही कैसे बता सकता है कि उसे कैसा डिज़ाइन चाहिए। तब असमंजस में वे कुछ अटपटा सा ही बोल जाते हैं जिसके बारे में वे खुद भी आश्वस्त नहीं होते और बस, यहीं हम उन पर अपना दाँव डाल देते हैं। अक्सर ग्राहक बोलते हैं – ‘फंकी लुकवाला’, ‘कूल दिखने वाला’, ‘सिंपल और सोबर’, ‘लेटेस्ट’, ‘ट्रेंडी’, ’मजबूत’ या ‘सस्ता’ आदि… अब ये सब ऐसी चीजें हैं जिनकी ना तो कोई सटीक परिभाषा है ना ही कोई मापदंड। बस, अगला आइटम दिखाने से पहले हमें उनके बताए हुए शब्द को बोलते हुए ढूँढ़ने का नाटक करना होता है और कोई भी आइटम उनके कहे अनुसार ‘फंकी’, ‘कूल’ या ‘सोबर’ कहकर रख देना होता है। - पूरे शहर का चक्कर लगा लो, यह चीज नहीं मिलेगी आपको।
जब दुकानदार को यह लगने लगे कि आप उसके यहाँ खूब आइटम देखकर भी कुछ तय नहीं कर पा रहे हैं और शायद आप उठकर किसी और दुकान पर देखने का मन बना रहे हैं तो वह अक्सर यह दाँव खेलता है। और, मजे की बात यह है कि वह अक्सर कामयाब भी हो जाता है क्योंकि आप उस पर विश्वास भी कर लेते हैं। क्यों? - दाम के मामले में एकदम बेफिक्र रहो आप, आप तो पुराने ग्राहक हो, आजतक आप से ज़्यादा लिए हैं क्या?
एक दुकानदार के लिए डील पूरी तो तभी होती है जब चीज ग्राहक को पसंद करवाने के बाद आखिर में वह आपसे अपने मनचाहे दाम भी वसूल कर ले। आप खुद को कितना भी बढ़िया मोलभाव करने वाला समझते हों, आपके इस हुनर की परीक्षा तो अब ही होनी है। आपको पूरी तरह आपका हितैशी, आपका शुभचिंतक बताने के लिए दुकानदार आपसे कुछ ऐसे ही पाँसे डालते हैं, जिनसे आपको होशियार रहना चाहिए। बारगेनिंग के दाँव-पेंच समझने के लिए देखिए – हमारे यहाँ मोलभाव (नहीं) होता है! - ब्रांडेड नहीं है पर चीज की एकदम गारंटी है, हम बैठे हैं ना।
शहर की मशहूर इलैक्ट्रिकल्स और होम ऐप्लायंस के शोरूम के मालिक ने बताया कि हमारे पास हर तरह के ग्राहक आते हैं जो ब्रांडेड और महँगे प्रोडक्ट खरीद सकते हैं और वो भी जो अनब्रांडेड और सस्ते प्रोडक्ट चाहते हैं। हमें सबके हिसाब से वैरायटी और रेंज रखनी पड़ती है। और जाहिर है कि महँगे ब्रांड की चीजें बेहतर क्वालिटी चेक से होकर निकलती हैं, ज़्यादा चलती हैं लेकिन हमारी यह एक लाइन हमारे ग्राहक को तसल्ली दे देती है और हमारी डील हो जाती है। एक समझदार ग्राहक होने के नाते आपको पता होना चाहिए कि ऐसी मँुह जुबानी गारंटी का कोई महत्व नहीं है, यह सिर्फ अपनी चीज बेचने का मंत्र भर है। आफ्टर सेल्स सर्विसेज़ और गारंटी-वारंटी आदि के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए – बिल तथा वॉरंटी कार्ड (दुकानदार की सील सहित) जरूर लें।