स्मार्ट सिटी के निर्माण की शुरुआत अपने घर, दुकान, बहुमंजिला रिहायशी भवन और कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स के निर्माण से ही कीजिए। क्या हैं ये स्मार्ट ईंटें जो आज आपके निर्माण को तो स्मार्ट बनाती ही हैं, साथ ही आपका भविष्य भी सुरक्षित करती हैं?
एक घर किसी भी इंसान की सबसे पहली और सबसे जरूरी सुरक्षा की चीज है। हम घर को ऐश्वर्य, विलास या संपत्ती के रूप में देखने से पहले सुरक्षा की दृष्टि से देखते आए हैं। जब से इंसानी सभ्यता शुरु हुई है, समय के साथ-साथ और तकनीकी विकास के चलते, घरों के निर्माण को लेकर अनेक प्रयोग और सुधार होते रहे हैं – चाहे वे उनकी बनावट को लेकर हों या निर्माण में प्रयुक्त होने वाली तकनीक में हो या मैटेरीयल आदि में। समय के साथ-साथ सबकुछ उन्नत हुआ है। और फिर, किसी भी सफल तकनीक या मैटेरीयल का उपयोग सिर्फ घरों तक ही सीमित क्यों रहे, यदि उचित हो तो उनका उपयोग दुकानों, बहुमंजिला इमारतों, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सब में ही किया जाता है।
आज सभी जागरुक देश, पर्यावरण की सुरक्षा और संसाधनों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मकान, दुकान, बहुमंजिला इमारतें आदि बनाने की दिशा में अनेकानेक प्रयास कर रहे हैं। हमारे देश में भी अब महानगरों में बनने वाली बहुमंजिला रिहायशी इमारतों और बड़े-बड़े मॉल्स-कॉम्प्लैक्स आदि में आज नामी-गिरामी बिल्डर और डेवलपर इन्हीं तकनीकों और बिल्डिंग कन्स्ट्रक्शन मैटेरियल को काम में लेकर स्मार्ट सिटी के सपने को हकीकत में बदल रहे हैं।
स्मार्ट सिटी के रहने वाले हैं आप?अब आवश्यकता है देश के बाकी शहरों में होने वाले छोटे-बड़े, रिहायशी-व्यवसायिक, निजी-सार्वजनिक, सरकारी-गैर सरकारी सभी प्रकार के निर्माणों में भी पर्यावरण और जीवन की हितैशी इन तकनीकों और उत्पादों के उपयोग की जागरुकता की। शुरुआत कहीं से तो करनी ही होगी, कभी तो करनी ही होगी, वरना कैसे आप खुद को स्मार्ट सिटी का नागरिक कहला सकेंगे जबकि आप अभी भी वही पुरानी तकनीकें और मैटेरियल काम में ले रहे हैं?
उदाहरण के लिए, ज़रा अपने कन्स्ट्रक्शन में काम आने वाले सारे मैटेरियल की सूची पर एक नज़र डालिए। इन सबमें से सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं, निर्माण में काम आने वाली ईंट। ईंट को पूरे निर्माण की जान कह सकते हैं हम, क्योंकि इसी से ना केवल निर्माण में लगने वाले समय और लागत-खर्चे पर असर पड़ता है बल्कि इस पर ही इमारत की उम्र, सुरक्षा और रख-रखाव में होने वाले खर्चे भी निर्भर करता है। इसलिए इस पहलू के बारे में आपका जागरुक होना बहुत आवश्यक है।
ईंट का जवाब…अगर भाषा के स्तर पर किसी को प्रभावित करना होता तो इस मुहावरे को पूरा करने के लिए ‘पत्थर’ कहा जा सकता था, लेकिन आपका भवन शब्दों की बुनियाद पर नहीं टिकने वाला। इसलिए वहाँ आपको सचमुच ही ईंट का कोई ऐसा विकल्प ढूंढना होगा जो निर्माण के खर्च को कम कर सके, निर्माण में लगने वाले समय को कम कर सके, इस्तेमाल में सहज हो, आपकी सारी जरूरतों के अनुकूल ढाला जा सके, पर्यावरण के अनुकूल हो, आपके भवन को लंबी आयु दे सके, भवन को प्राकृतिक आपदाओं को झेलने में सक्षम बना सके, रखरखाव में होने वाले खर्च को कम कर दे…!
आपको कहीं ऐसा तो नहीं लग रहा कि इतने सारे लाभ देने वाला विकल्प मिलना तो असंभव ही है? यदि आप ऐसा ही सोच रहे हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है! दरअसल ये सभी फायदे देने वाला विकल्प अब बाज़ार में उपलब्ध है जिसे आप अपने सपनों के घर में या अपनी दुकान या बड़ी इमारत के निर्माण के लिए ईंटों की जगह काम में लेकर सचमुच एक स्मार्ट घर बना सकते हैं। ये हैं – AAC यानि ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कॉन्क्रीट ब्लॉक्स, जिसे ACC (ऑटोक्लेव्ड सेल्यूलर कॉन्क्रीट) या ALC (ऑटोक्लेव्ड लाइटवेट कॉन्क्रीट) ब्लॉक्स भी कहते हैं। ये ब्लॉक्स प्रमाणित ग्रीन बिल्डिंग मैटेरियल की सूची में आते हैं जो कि किसी भी आकार के रिहायशी, व्यवसायिक या इंडस्ट्रियल निर्माण के लिए एकदम उपयुक्त हैं। मोटे तौर पर ये AAC ब्लॉक्स फ्लायऐश, सिमेंट, लाइम, वॉटर और एयरेटिंग एजेंट (एल्यूमिनियम पाउडर) के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं जिसकी वज़ह से इस मैटेरियल को मजबूती और इसे काम में लेने की सुविधा तो मिलती ही है साथ ही इसके आग पकड़ने का, उम्र के साथ इसके भुरभुराने का या इसमें कीड़े-दीमक आदि का खतरा भी कम हो जाता है।
चाहे आप अपने खुद के लिए घर-मकान-दुकान आदि बना रहे हों या एक बिल्डर-डेवलपर के तौर पर किसी और के लिए, पारंपरिक लाल ईंटों और सिमेंट के भारी-भारी ब्लॉक्स काम में लेने की बजाय हल्के, मजबूत और सुरक्षित AAC ब्लॉक्स काम में लेने में ही समझदारी है।
AAC ब्लॉक्स से आपको मिलने वाले लाभवैसे तो सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक तौर पर यदि देखें तो लाल ईंटों और सिमेंट के ब्लॉक्स की तुलना में इन AAC ब्लॉक्स की बहुत सारी विशेषताएं हैं लेकिन जब आप इन्हें अपने निर्माण में काम में लेते हैं तब इनसे आपको अनेक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष, तुरंत-दूरगामी, लागत-सुरक्षा संबंधी लाभ मिलते हैं। आइए, उनमें से प्रमुख 10 पहलूओं पर एक नज़र डालें-
1. लाने-करने और उठाने-रखने में सुगम: AAC ब्लॉक्स लाल वाली मिट्टी से बनी ईंटों के मुकाबले आधे से भी कम वज़न की होती हैं, इसलिए ये निर्माण में काम में लेने में तो सुविधाजनक हैं ही, साथ ही दूरदराज स्थित साइट तक लाने-ले जाने में होने वाले खर्चे को, समय को भी कम करती हैं।
2. एकदम सपाट दीवारें: AAC ब्लॉक्स एकदम सही नाप-चोख के बने होते हैं जिसके कारण निर्माण की दीवारें एकदम सपाट बनती हैं। इसलिए मजदूरों को एक तरफ से ब्लॉक्स को सही बिठाना होता है बस, दूसरी तरफ से दीवार स्वतः ही सीधी बनती चली जाती है। दीवार के एकदम सीधी और सपाट होने के कारण ही उस पर अतिरिक्त सीमेंट या प्लास्टर करने की भी कोई जरूरत नहीं रहती जो लाल ईंटों की दीवारों को सपाट करने के लिए आवश्यक होता है। इससे निर्माण में लगने वाले अतिरिक्त समय, लागत और भार की बचत हो जाती है।
3. इस्तेमाल में आसानी: AAC ब्लॉक्स को बहुत ही आसानी से एकदम सही नाप से काटा जा सकता है, इसमें ड्रिल करके छेद किया जा सकता है, एक-दूसरे पर बड़े आराम से बिठाया जा सकता है।
4. जैसा चाहो, वैसा बनाओ – जल्दी बनाओ: AAC ब्लॉक्स का आकार लाल ईंटों की तुलना में काफी बड़ा होता ही है जिससे आपके निर्माण में लगने वाले समय की 50% तक बचत होती है, साथ ही इसके विभिन्न आकार आपको रचनात्मकता की सुविधा भी देते हैं ताकि आप इन ब्लॉक्स को खड़ा कर, लेटा कर या आड़ा कर के अपनी आवश्यकता के अनुसार काम में ले सकते हैं। इनको एक-दूसरे पर बिठाना जितना आसान है, उतना ही आसान है इनको जोड़ना। और दो ब्लॉक्स का ये जोड़ बहुत जल्दी सूखकर एक मजबूत और बड़ा ब्लॉक बना देता है। जाहिर है, प्रोजेक्ट में कम समय लगने का अर्थ है प्रोजेक्ट की लागत कम होना, यानि मुनाफा ज़्यादा होना।
5. ज़्यादा गर्मी और सर्दी से बचाव: AAC ब्लॉक्स की बेहतर थर्मल क्षमता के कारण इससे बनी एक दीवार लाल ईंटों से बनी दीवार के मुकाबले बेहतर ढंग से तापमान के लिए एक रोधक का काम करती है। इसलिए अधिक गर्मी और सर्दी की स्थिति में बचाव के लिए अन्य प्रकार की हीटिंग या कूलिंग के इंतजाम की आवश्कता नहीं पड़ती। इसके कारण निर्माण में लगने वाले अतिरिक्त समय, लागत और भार की बचत हो जाती है।
6. आपको दे गोपनीयता और शांति: इन ब्लॉक्स की संरचना के कारण इससे बनी दीवारें ध्वनि को अपने में समाहित करने वाली होती हैं। इसका अर्थ यह है कि इससे बने कमरे काफी हद तक साउंडप्रूफ होते हैं, जो बाहर के शोर-शराबे से तो अंदर के वातावरण को बचाते ही हैं, साथ ही एक कमरे की आवाज़ दूसरे कमरे में जाने से भी रोकती हैं। इस खूबी के कारण ये AAC ब्लॉक्स शोर-शराबे वाले स्थानों पर बनने वाले अस्पतालों, लाइब्रेरियों, स्कूल-कॉलेजों, ऑफिसों, रिकॉर्डिंग स्टूडियो और अनेक परिवारों वाले भवनों आदि के लिए बहुत कारगर साबित होती हैं।
7. रख-रखाव और मरम्मत का आए दिन का झंझट खत्म: तापमान के प्रति इनकी लाजवाब प्रतिरोधकता के कारण आपका रोज़मर्रा का बिजली आदि का व्यय भी कम हो जाता है। इसके मैटेरियल की वज़ह से ही इससे बने भवनों में दीमक या इसी प्रकार के कीटाणुओं से सुरक्षा के लिए आए दिन पेस्ट कंट्रोल करवाने का झंझट भी खत्म हो जाता है। AAC ब्लॉक्स समय के साथ कमज़ोर या भुरभुरा नहीं जाते कि इन्हें बार-बार मरम्मत की जरूरत पड़ती रहे। इसलिए इनसे बनी बिल्डिंग की उम्र बहुत ज़्यादा होती है।
8. आग लगने का खतरा कम: चूंकि AAC ब्लॉक्स लगभग 1600 डिग्री सेंटीग्रेड तक ऊष्मा सहन कर सकते हैं, इनसे बनी दीवार आम लाल ईंट से बनी दीवार के मुकाबले ज़्यादा देर तक (लगभग 6 घंटे तक) आग को झेल सकती है। इसलिए इनसे बने घर और बिल्डिंगों में आग लगने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
9. प्राकृतिक आपदाओं आदि को सहने में सक्षम: AAC ब्लॉक्स हल्के और मजबूत होने के कारण इसमें लोहे और सीमेंट की मात्रा ज़्यादा लगाने की जरूरत नहीं रहती। परिणामस्वरूप पूरे भवन का कुल भार काफी कम हो जाता है जो कि भूकंप आदि जैसी आपदाओं के समय बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। AAC ब्लॉक्स के मैटरियल के कारण इससे बने घर-मकान आदि बहुत तेज बरसात और खारी हवा को भी लंबे समय तक झेल सकते हैं।
10. पर्यावरण के प्रति आपका योगदान: अनजाने में ही सही, लेकिन AAC ब्लॉक्स को काम में लेकर आप सचमुच प्रकृति और पर्यावरण को सहयोग करते हैं। एक तो इनके निर्माण में ईंटों की तरह मिट्टी काम में नहीं आती जो दरअसल हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसकी बजाय इन्हें बनाने के लिए फैक्ट्रियों-कारखानों से निकलने वाली राख काम में ली जाती है। तो एक ओर तो इससे उपजाऊ मिट्टी बच जाती है और दूसरी ओर फैक्ट्रियों से निकला हुअा ‘वेस्ट’ काम में आ जाता है। ना तो इसके निर्माण में कोई जहरीली चीज काम में आती है और ना ही इसके निर्माण के दौरान कुछ जहरीला बाइ-प्रोडक्ट बनता है। चूंकि ये वज़न में हल्की हैं, इनको साइट तक लाने-ले जाने में यदि ट्रकों के कम चक्कर लगते हैं तो एक ओर तो उन चक्करों में फुंकने वाला ईंधन बचता है, दूसरी ओर ट्रकों के कम चक्करों से कार्बन डाइऑक्साइड भी कम ही निकलता है, जो कि हमारे पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा है।
इस तरह AAC ब्लॉक्स को काम निर्माण में लेकर आप अपने खुद के लिए तो समय, लागत, सुरक्षा आदि जैसे लाभ लेते ही हैं, साथ ही आप अपने समाज के, अपने देश के और समूची इंसानियत के लिए भी योगदान करते हैं। इसलिए स्मार्ट सिटी का सपना देखने से पहले जागिए और अपने घर से स्मार्ट कन्स्ट्रक्शन की शुरुआत कीजिए।